SWAMI NITYANAND
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वे कहते हैं हम पर उंगली उठाने बालों से लड़ाई आर पार की है
हम कहते हैं संसद की गरिमा किसी और ने नहीं सांसदों ने तार तार की है
माना कि सब बुरे नहीं कुछ अच्छे भी हैं
पितामाह भीष्म और बिदुर कि तरह सच्चे भी है
मगर जब स्वार्थ मे अंधों के बीच अस्मिता का चीर हरण होता है
तो अच्छे अच्छों का मौन देख संसद का पोर पोर रोता है
तो क्यों न कृष्ण अपनी भूमिका निभाएं
जन शक्ति की साड़ी से लोकतंत्र की अस्मिता बचाएं
लिप्सा के दलदलों मे समाते राष्ट्रिय हितों को बचाने दो
गांधीगीरी से काम न चले अन्ना तो महाभारत भी हो जाने दो
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